- - ★ मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी ✶ Best Shayari Of Mirza Ghalib In Hindi

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★ मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी ✶ Best Shayari Of Mirza Ghalib In Hindi

 ★ मिर्ज़ा  ग़ालिब की शायरी ✶ Best Shayari Of Mirza Ghalib In Hindi 



दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।
आख़िर इस ज़िन्दगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते
कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िन्दगी देकर।



ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ
क्यूंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में


हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे


इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।
वर्ना हम भी आदमी थे काम के


हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी खबर नहीं आती



जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब
ज़ख्म का एहसास तब हुआ
जब कमान देखी अपनों के हाथ में

हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ
जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा


है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात करनी नहीं आती


दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है



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